क्या 5G से बढ़ रहा है संक्रमण? क्या है इसपर वैज्ञानिकों का मानना? सच या झूठ? जाने पूरा सच • TECHY DUGGU

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आज का को टॉपिक आपके सामने हम का र है वह थोड़ा विचलित करने वाला है, और यह जानकारी मुझे किसी इस पेज पर विजिट करने वाले व्यक्ति ने नहीं जबकि मेरे एक मित्र Gufran Khan ने लिखने के लिए बोला, उनका यह मानना है कि शायद आप सभी को आने वाले कुछ दिनों में ऐसी जानकारी की जरूरत पड़ेगी।

 • आज का टॉपिक :- क्या है 5G टेक्नोलॉजी और कोरोना वायरस के बीच संबंध? क्या यह वायरस इस तकनीक के चलते फैल रहा है? क्या है इस टॉपिक पर विशेषज्ञों का मानना? और अगर यह बात सच है तो कैसे?

इसी बात पर आज हम चर्चा करेंगे, चलिए शुरू करते है!

कोरोना वायरस (Covid-19) को लेकर दुनिया भर में कई तरह की कॉन्सपिरेसी थ्योरीज चल रही हैं. कुछ का कहना है कि ये बायो वेपन है जिसे चीन ने बनाया है तो कई लोगों का मानना है कि ये 5G की वजह से हो रहा है. कई जगहों पर 5G वाली कॉन्सपिरेसी थ्योरी पर ज्यादा भरोसा किया जा रहा है और YouTube पर इस तरह के सैकड़ों वीडियोज बनाए जा चुके हैं.

क्या है पूरा मामला?


गार्डियन की एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले हफ्ते ब्रिटेन के बर्मिंघम में कुछ लोगों ने 7 मोबाइल टावर्स में आग लगा दी. इतना ही नहीं जो लोग इस कॉन्सपिरेसी थ्योरी पर यकीन रखते हैं उनमे से कुछ ने ब्रॉडबैंड इंजीनियर्स को अपशब्द भी कहे हैं. यहां तक कि इस रिपोर्ट में कहा गया है कि उन्हें धमकियां भी दी गई हैं.

5-जी का इस्तेमाल मोबाइल फोन नेटवर्क के लिए किया जाता है और यह रेडियो वेब पर काम करता है। इन थ्योरीज में कहा जा रहा है कि यह तकनीक कोरोना वायरस संक्रमण के फैलने के लिए जिम्मेदार है। ऐसी थ्योरीज पहली बार जनवरी महीने के अंतिम सप्ताह में फेसबुक पर नजर आया था। इसी वक्त अमरीका में कोरोना वायरस संक्रमण का पहला मामला सामने आया था। इन थ्योरीज वालों को मोटो तौर पर दो कैंप में रख सकते हैं- पहला कैंप वह जिसमें दावा किया जा रहा है कि 5-जी से इंसानों की प्रतिरोधी क्षमता कम होती है, जिसके चलते लोगों के कोरोना वायरस से संक्रमित होने की आशंका बढ़ जाती है


वहीं दूसरे कैंप में वे लोग हैं जो दावा कर रहे हैं कि पांच-जी तकनीक की मदद से वायरस को फैलाया जा रहा है, किसी तरह ट्रांसमिट किया जा रहा है। रीडिंग यूनिवर्सिटी के सेल्यूलर माइक्रोबॉयलॉजी विभाग के एसोशिएट प्रोफेसर डॉक्टर सिमोन क्लार्क, इन दोनों सिद्धांतों को पूर्ण रूप से बकवास बताते हैं। सिमोन क्लार्क कहते हैं, "5-जी तकनीक से लोगों की प्रतिरोधी क्षमता कम होती है, यह दावा खरा नहीं उतरता। लोगों की प्रतिरोधी क्षमता थकान से कम हो सकती है या फिर अच्छी डाइट के अभाव में कम हो सकती है। हालांकि इनसे बहुत ज्यादा का अंतर नहीं आता लेकिन इससे वायरस से संक्रमित होने का खतरा जरूर बढ़ जाता है।"


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✓ 5G और कोरॉना वायरस
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क्या है UK सरकार का इस मामले पर कहना?

5G टावर जलाए जाने की घटनाएं सामने आने के बाद यूके सरकार के डिजिटल, कल्चर, मीडिया व स्पोर्ट्स विभाग ने इस पर ट्वीट करके प्रतिक्रिया दी है। विभाग ने कहा कि कोरोना वायरस के फैलने और 5जी टेक्नॉलजी के बीच किसी तरह के संबंध का कोई सबूत नहीं मिला है। यह दावा इसलिए भी सही साबित नहीं होता क्योंकि कोरोना वायरस भारत, ईरान और जापान जैसे देशों में भी फैला है जहां अभी 5जी तकनीक की शुरुआत तक नहीं हुई।

क्या है विशेषज्ञों का मानना?

लेकिन वैज्ञानिकों का कहना है कि कोविड-19 और 5-जी तकनीक के बीच संबंधों की बात पूर्ण बकवास है और यह जैविक रूप से संभव नहीं है। एनएचएस इंग्लैंड मेडिकल के निदेशक स्टीफन पाविस ने ऐसे कांस्पेरिज थ्योरीज को, सबसे खतरनाक फेक न्यूज बताया है। जो लोग ऐसे पोस्ट शेयर कर रहे है वो सब कांस्पेरेसी थ्योरी को बढ़ावा दे रहे हैं। जिसमें 5-जी की मदद से कोरोना वायरस संक्रमण फैलने का झूठा दावा किया जा रहा है।

अन्ततः यह बात कि 5G की वजह से वायरस काफी तेजी से संक्रमण कि तरफ जा रहा है, यह पूरी तरह से विशेषज्ञों की तरफ से खारिज कर दी गई है दूसरे शब्दों में बोले तो यह बात पूरी तरह से गलत साबित हुई, तथा आप सभी से यह पेज निवेदन करता है कि ऐसे अफवाहों पर विश्वास करने से पहले एक बार इसकी पुष्टि जरूर कर लें!

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Comments

  1. Behtreen knowledge diya aapney apney blog key madhyam sey.

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